कुंभ नगरी प्रयागराज में आप सभी का स्वागत है। 15 जनवरी 2019 दिन मंगलवार मकर संक्रांति के पवित्र अवसर पर प्रथम शाही स्नान के साथ ही महाकुंभ का प्रारम्भ होगा। 21 जनवरी को पौस पूर्णिमा, 4 फरवरी को मौनी अमावस्या, 10 फरवरी को बसंत पंचमी एवं 19 फरवरी को माघ पूर्णिमा पर असंख्य जनसमूह प्रयागराज के कुंभ क्षेत्र में संगठित होगा। 48 दिनों तक चलने वाले इस महा स्नान का समापन होगा 4 मार्च दिन सोमवार महाशिवरात्रि के दिन।
सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे महाकुंभ में इस बार स्वच्छता अभियान को केंद्र में रखते हुए भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने 40 करोड़ से भी अधिक की धनराशि का वितरण किया है। पूरे कुंभ क्षेत्र को 4 टेंट खंडों में बांटा जाएगा। जिनके क्रमशः नाम होंगे कल्पवृक्ष, कुंभ कैनवास, वैदिक टेंट सिटी एवं इंद्रप्रस्थम सिटी। हर खंड में टेंट में निवास करने वाले कल्प वासियों के लिए पानी, बिजली, खाना बनाने के लिए गैस एवं शौचालय एवं नित्य कर्म से निवृत्त होने के लिए विशाल संख्या में पुनर निर्मित शौचालय कोटरों को स्थापित किया जाएगा। घाटों को सुरक्षित एवं दृढ़ बनाने के लिए प्लास्टिक के पीपों को जोड़कर सुरक्षित सीमा रेखा का निर्माण किया जाएगा ताकि लोग गहरे पानी में स्नान करने का खतरा ना उठाएं। पूरे घाट पर जल पुलिस नौका संसाधनों के द्वारा अपनी सतर्कता बनाए रखेगी। किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कर्मचारियों को स्ट्रीमर चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कुंभ को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए जगह जगह पर अग्निशमन केंद्रों का निर्माण किया गया है। किसी भी तरह के आपराधिक एवं आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कई पुलिस चौकियां स्थापित की गई हैं।
नदी पार करने के लिए लोहे के विशाल पीपों को आपस में जोड़कर अस्थाई सेतुओं का निर्माण किया गया है। जिनकी अधिकतम क्षमता है 5 टन। अर्थात इस पुल से विशाल भीड़ के साथ-साथ आवागमन के साधन आसानी से स्थानांतरित हो सकते हैं।
लोग साफ सफाई के प्रति पूरी तरह से प्रतिबंध रहे इसके लिए जगह जगह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का आकार चित्र भी लगाया गया है।
नौकाओं के लिए एक विशेष घाट होगा। विशेष व्यक्तियों के लिए वीआईपी घाटों की व्यवस्था की जाएगी। एंबुलेंस, मीडिया एवं पुलिस कर्मचारियों की गाड़ियों को कुंभ क्षेत्र में स्थानांतरित होने के लिए रेतीली मिट्टी के ऊपर लोहे की चादरें बिछाई जा रहीं हैं।
संगम वह क्षेत्र है जहां पर गंगा एवं यमुना के जल का आपस में समागम होता है। इसलिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र इसी को माना जाता है। यहां स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की अपार भीड़ एकत्रित होती है इसलिए अधिक से अधिक लोग संगम के इस क्षेत्र तक पहुंच कर स्नान का आनंद उठा सकें इसके लिए बुलडोजर, ट्रैक्टर आदि मशीनी उपकरणों से रेतीली जमीन को और अधिक ठोस बनाने का काम बड़ी तेजी से संपन्न किया जा रहा है। प्रयास यह है कि गंगा एवं यमुना का जल जहां पर मिलता है वहां घाटों का चौड़ीकरण कर दिया जाए। ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग स्नान करके अपने गंतव्य की तरफ प्रस्थान कर सकें।
ठंड का मौसम आते ही सीगुल पक्षियों के विशाल झुंड का आगमन होता है। सुबह से शाम तक यह पक्षी घाट के आसपास मंडराते रहते हैं जो भी श्रद्धालु यहां पर स्नान या फिर भ्रमण करने के लिए आते हैं वह पक्षियों को अपने हाथों से दाना खिलाते हैं। यह दृश्य इतना अद्भुत होता है कि आप इसका आनंद उठाने से स्वयं को रोक नहीं पाते।